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जानिए जयललिता का एक्ट्रेस से 'अम्मा' बनने तक का सफर

 जयललिता'... इस नाम के बिना न तमिल राजनीति और न ही तमिल सिनेमा पूरा हो सकता है। जयललिता शुरु से ही एक कामयाब वकील बनना चाहती थीं। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था उन्हें पहले फिल्मों और फिर राजनीति में धकेल दिया। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की सेहत 22 सितंबर 2016 से ही दिन-प्रतिदिन खराब होती गई। आइए आज हम बताते हैं कि उनके जीवन की शुरूआत से लेकर अब तक के सफर के बारे में...

जयललिता का शुरूआती सफर

24 फरवरी 1948 को जयललिता जयराम का जन्म कर्नाटक के मैसूर में एक हिंदू परिवार में हुआ। वे पुरानी मैसूर स्टेट के मांड्या जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई थीं। उनके दादा मैसूर राज्य में एक सर्जन थे और उनके परिवार के बहुत से लोगों के नाम के साथ जय (विजेता) का लगाया जाता है। जब वे दो साल की थीं तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। उनका जीवन शुरु से ही संघर्षपूर्ण था। पिता की मौत के बाद जयललिता मां वेदवल्ली ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना नाम बदल कर संध्या रख लिया।

कई सुपरस्टार के साथ किया काम

जयललिता ने अपनी पढ़ाई नाना-नानी के पास रहकर बंगलुरू के बिशप कॉटन स्कूल से की। मां के कहने पर उन्होंने 15 वर्ष की उम्र में फिल्मों में काम करना शुरु कर दिया। यह 15 साल की लड़की आगे चलकर एक सुप्रसिद्ध तमिल एक्ट्रेस बनीं। हालांकि एक विद्यार्थी के तौर पर भी पढ़ाई में उनकी काफी रुचि रही। जयललिता ने एम जी रामचंद्रन के साथ 28 फिल्मों में काम किया। एमजीआर तमिल सिनेमा के सुपरस्टार थे और भारतीय राजनीति के सम्मानित नेताओं में थे।

शम्मी कपूर की फिल्म ‘जंगली’ ऑल टाइम फेवरिट

जयललिता स्कूल के दिनों में क्रिकेटर नारी कॉन्ट्रैक्टर और बॉलीवुड अभिनेता शम्मी कपूर की दीवानी हुआ करतीं थी। नारी कॉन्ट्रैक्टर को देखने के लिए वे अक्सर टेस्ट मैच देखने जाया करतीं थी और शम्मी कपूर की फिल्म ‘जंगली’ उनकी ऑल टाइम फेवरिट फिल्म है। 

उन्होंने दक्षिण भारत में उस दौर के लगभग सभी सुपरस्टारों, मसलन, शिवाजी गणेशन, जयशंकर, राज कुमार, एनटीआर यानी एन टी रामाराव और एम जी रामचंद्रन यानी एमजीआर के साथ काम किया।

क्यों बुलाते हैं अम्मा

15 साल की उम्र में से जया ने फिल्मों में अभिनय शुरू कर दिया। वे तमिल, तेलुगू, कन्नड की फिल्मों के अलावा एक हिंदी फिल्म (इज्जत) में भी काम किया है। 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की। जयललिता ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडगम की महासचिव हैं। उनके समर्थक उन्हें अम्मा और पुरातची तलाईवी (क्रांतिकारी नेता) कहकर बुलाते हैं।


जयललिता ने राजनीति में रखा कदम...

1982 में जया ने राजनीति में कदम रखा। वे अगले ही वर्ष पार्टी की प्रोपेगेंडा सचिव बनीं। 1984 में अंग्रेजी में उनकी वाक क्षमता को देखते हुए रामचंद्रन ने उन्हें राज्यसभा में भिजवाया। 

 बनीं रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी...

अभिनेता एमजीआर की अंतिम यात्रा के दौरान एमजीआर की पत्नी और समर्थकों ने जयललिता के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार किया जिससे पार्टी में बिखराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। 1987 में रामचंद्रन का निधन के बाद अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई। एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता, लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। 

जयललिता ने कब बनाई सरकार...

राष्ट्रपति शासन के बाद 1989 में हुए विधानसभा के चुनावों में जयललिता के गुट ने 27 सीटें जीत लीं और वे विपक्ष की नेता बनीं। लेकिन 25 मार्च 1989 में तमिलनाडु विधानसभा में उनके साथ हुआ कथित दुर्व्यवहार वाली घटना ने उनके राजनीतिक जीवन को बदल रख दिया। 

इस घटना के बाद राज्य की जनता में उनके प्रति सहनभूति बढ़ गई। जिसकी सीधा फायदा उन्हें 1991 में हुए विधानसभा चुनावों में हुआ। इसी तरह वर्ष 1991 में वे राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्य में हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई।

किस उम्र में जयललिता बनीं मुख्यमंत्री...

24 जून, 1991 को वे पहली बार राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं। उनकी सरकार ने बालिकाओं की रक्षा के लिए क्रैडल बेबी स्कीम शुरू की। इसी वर्ष राज्य में ऐसे पुलिस थाने खोले गए जहां केवल महिलाएं ही तैनात होती थीं। 

आखिर कब चुनाव हारीं जयललिता...

 सन 1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद भी चुनाव हार गईं।

 कब दोबारा सीएम बनीं जयललिता...

2001 में फिर एक बार जयललिता मुख्यमंत्री बनने में सफल हुईं। 

तीसरी बार मुख्यमंत्री कब बनीं जयललिता...

16 मई 2011 को 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो जयललिता तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं।

 संपत्ति को लेकर कैसे फंसी जयललिता...

3 करोड़ से 66 करोड़ का सफर 

1991 में मुख्यमंत्री बनने के समय जयललिता ने अपनी संपत्ति 3 करोड़ घोषित की थी।मुख्यमंत्री के तौर पर 1 रुपये महीने के वेतन पर काम किया था।66.65 करोड़ रुपये की मालकिन कैसे बन गई महज पांच साल बाद। 

जयललिता के पास कितनी थी संपत्ति...

ये हैं जललिता की संपत्तियां 

- 28 किलो सोना, 800 किलो चांदी, 10500 साड़ियां, 750 जोड़ी जूते, 91 घड़ियां 

- 1600 एकड़ में फैला नीलगिरी जिले के कोटागिरी के पास कोडनाड में फार्म हाउस। चेन्नई और उसके उपनगरों में कई मकान, हैदराबाद में फार्महाउस। 

- 32 कंपनियां शुरू की शशिकला की भांजी इलावर्सी ने। आरोप है कि ये कंपनियां जयललिता के काले धन से शुरू हुआ। 

जयललिता ने क्यों दिया था इस्तीफा...

पहले भी दे चुकी हैं इस्तीफा 

2001 में अदालत ने उन्हें कोडइकनाल में प्लेजेंट होटल को नियमों के विरुद्ध भवन निर्माण की अनुमति देने का दोषी पाया। निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया। 21 सितंबर 2001 को जयललिता ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। ओ पनीरसेल्वम को जया ने अपनी जगह मुख्यमंत्री बना दिया। दोषसिद्धि खारिज होने के बाद जयललिता 21 फरवरी 2002 को अंदिपटटी निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव में निर्वाचित हुईं और मार्च 2002 में दुबारा मुख्यमंत्री बनीं। 

 सुनवाई के 18 साल का टाइमलाइन...

सुनवाई के 18 साल का टाइमलाइन

14 जून 1996 : पहली बार डॉक्टर सुब्रमनियम स्वामी द्वारा जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में शिकायत दर्ज कराई गई। इसी साल 18 जून को जयललिता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया।

21 जून 1996 : प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने शिकायत की जांच करने के लिए आइपीएस लतिका सरन को जिम्मेगवारी सौंपी।

4 जून 1997 : चेन्नंई कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया जिसमें उनके पास 66.65 करोड़ रूपये अज्ञात स्नोतों से होने की बात कही गई।

21 अक्टूबर 1997 : कोर्ट ने जयललिता, उनके सहयोगी वीके शशिकला, उनके भतीजे वीएन सुधाकरन और जे. इलावरासी के खिलाफ आरोप तय किए गए।

02 मार्च 2002 : जयललिता फिर से तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। 18 नवंबर 2002 को यह केस चेन्नाई से हटाकर बेंगलुरू के एक विशेष अदालत को सौंप दिया गया।

16 मई 2011 : जयललिता फिर से मुख्यमंत्री बनीं। 13 अगस्त को जे भवानी सिंह इस केस में एसपीपी के रूप में नियुक्त किए गए। 30 सितंबर को विशेष न्यायालय के न्यायाधीश बालकृष्ण सेवानिवृत्त हुए और 29 अक्तूबर को हाईकोर्ट स्पेशल कोर्ट के जज के रूप में जॉन माइकल कुन्हा की नियुक्ति की गई।

28 अगस्त को 2014 : कोर्ट ट्रायल के दौरान कहा गया कि मामला स्पष्ट हो गया है, जल्द ही निष्कर्ष निकाला जाएगा।

16 सितंबर 2014 : जयललिता को याचिका की अनुमति प्रदान की गई। फैसले के लिए 27 सितंबर का दिन मुकर्रर दिया गया।


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