importance of positive thinking – दो बड़े ही प्यारे मित्र थे दोनों एक से बढ़कर एक वाला प्यार करते थे एक दूसरे को फिर भी दोनों में एक बड़ा फर्क था | एक दोस्त जिन्दगी में चीजों को बड़े positive नजरिये से देखता था और वंही उसका दूसरा मित्र जिन्दगी के नकारात्मक पहलुओं पर अधिक सवेदनशील था | positive होने का ये फायदा था कि एक मित्र तो हर मुश्किल की घडी में भी कोई न कोई सकारात्मक हल निकालने में सक्षम था जबकि वंही दूसरी और उसका दूसरा मित्र अच्छे दिनों में भी कुछ बुरा न हो जाये ऐसी आशंका से भयग्रस्त रहता था |
एक दिन दोनों का मन शिकार करने को हुआ | दोनों जंगल में चले गये | रास्ते में ऐसा हुआ कि किसी हादसे की वजह से पहले मित्र के हाथ का एक अंगूठा कट गया तो उसके दोस्त ने उस से सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि निश्चित ही ‘इस हादसे में भी अच्छा छिपा है तुम चिंता करके अब इसे बदल नहीं सकते इसलिए इस बारे में अधिक नहीं सोचो ‘ | दोस्त की ये बात सुनकर चोट खाए दोस्त को बड़ा गुस्सा आया और उसने अपने मित्र को बुरा भला कहा और वंहा से अकेले ही वापिस शहर की और लौट पड़ा | रास्ते में उसे कबिलियाई लोगो ने पकड़ लिया क्योंकि उन्हें नरबली देने के लिए किसी इन्सान की आवश्कता थी | लेकिन उसका कटा हुआ अंगूठा देखकर उसे बलि के अयोग्य मानकर उन लोगो ने उसे छोड़ दिया |
एक दिन दोनों का मन शिकार करने को हुआ | दोनों जंगल में चले गये | रास्ते में ऐसा हुआ कि किसी हादसे की वजह से पहले मित्र के हाथ का एक अंगूठा कट गया तो उसके दोस्त ने उस से सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि निश्चित ही ‘इस हादसे में भी अच्छा छिपा है तुम चिंता करके अब इसे बदल नहीं सकते इसलिए इस बारे में अधिक नहीं सोचो ‘ | दोस्त की ये बात सुनकर चोट खाए दोस्त को बड़ा गुस्सा आया और उसने अपने मित्र को बुरा भला कहा और वंहा से अकेले ही वापिस शहर की और लौट पड़ा | रास्ते में उसे कबिलियाई लोगो ने पकड़ लिया क्योंकि उन्हें नरबली देने के लिए किसी इन्सान की आवश्कता थी | लेकिन उसका कटा हुआ अंगूठा देखकर उसे बलि के अयोग्य मानकर उन लोगो ने उसे छोड़ दिया |
वो शहर लौट गया और कुछ देर बाद उसका दूसरा मित्र भी किसी दूसरे रस्ते से लौट गया तो जब शहर आने के बाद दोनों एक बार फिर से मिले तो अंगूठे कटे दोस्त ने कहा ‘मुझे माफ़ करना तुम सही थे ‘ क्योंकि अंगूठे के कटे होने की वजह से ही मैं आज जिन्दा हूँ लेकिन ये बताओ तुम्हारी और मेरी लड़ाई होने पर क्या अच्छा हुआ ? इस पर मित्र ने कहा अगर हम दोनों में लडाई नहीं होती तो तुम और मैं साथ साथ होते और जिस रस्ते से तुम आये थे उसी रास्ते मैं भी तुम्हारे साथ साथ आता और अगर हम साथ साथ होते तो बलि मेरी दे दी जाती |
पूरी बात को सुनकर दूसरे मित्र को सकारात्मक नजरिये का महत्व समझ आने लगा था |